Paris Olympics 2024: हमास ने दी पेरिस ओलंपिक में खून की नदियां बहाने की धमकी! क्या है वायरल वीडियो का सच?
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Paris Olympics 2024: हमास ने दी पेरिस ओलंपिक में खून की नदियां बहाने की धमकी! क्या है वायरल वीडियो का सच?

Paris Olympics 2024 News: पेरिस ओलंपिक 26 जुलाई शुरू होकर से 11 अगस्त 2024 तक चलेगा. हालांकि कुछ खेल प्रतियोगिताएँ 24 जुलाई से शुरू होंगी. आयोजन का पेरिस मुख्य मेजबान शहर होगा.

Paris Olympics 2024: हमास ने दी पेरिस ओलंपिक में खून की नदियां बहाने की धमकी! क्या है वायरल वीडियो का सच?

France News: सोशल मीडिया पर पेरिस ओलपिंक से जुड़ा एक वीडियो खासा वायरल हो रहा है. इस कथित वीडियो में एक व्यक्ति हमास का लड़ाका होने का दावा करते हुए पेरिस ओलंपिक के लिए धमकी दे रहा है. एनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक माइक्रोसॉफ्ट के शोधकर्ताओं ने इस वीडियो को फर्जी बताया है.

माइक्रोसॉफ्ट शोधकर्ताओं ने वीडियो को रूस से जुड़े एक दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा बताया है, जिसका उद्देश्य ओलंपिक को बाधित करना है.

रिपोर्ट के मुताबिक टेलीग्राम पर हमास के अधिकारी इज्जत अल-रिशेक ने इस बात से इनकार किया कि यह वीडियो हमास से आया है और इसे जालसाजी बताया.

माइक्रोसॉफ्ट के थ्रेट एनालिसिस सेंटर के शोधकर्ताओं ने, जिन्होंने एनबीसी न्यूज़ के अनुरोध पर वीडियो की समीक्षा की,  कहा कि ऐसा लगता है कि यह एक रूसी दुष्प्रचार ग्रुप से आया है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के बारे में पिछले वीडियो के विवरण इससे मेल खाते हैं.

क्या है कथित वीडियो में?
सबसे हालिया वीडियो में, एक शख्स अपने चेहरे पर दुपट्टा लपेटे हुए एक ग्रे दीवार के सामने खड़ा है और फ्रांस के लोगों और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन को संबोधित कर रहा है. वह अरबी में कहता है कि ‘पेरिस की सड़कों पर खून की नदियां बहेंगी.’ वह कहता है कि कि फ्रांस हमास के साथ युद्ध में इजरायल का समर्थन करता है और ओलंपिक खेलों में इजरायली एथलीटों का स्वागत करता है. वह एक कटे हुए पुतले का सिर पकड़े हुए है जो लाल रंग से ढका हुआ प्रतीत होता है.

उद्घाटन समारोह में बस कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में फ्रांसीसी अधिकारियों ने जनता को आश्वस्त किया है कि उन्होंने हर संभव सुरक्षा एहतियात बरती है, जिसमें हज़ारों सुरक्षाकर्मियों को तैनात करना भी शामिल है.

माइक्रोसॉफ्ट ने चेतावनी दी थी कि रूस लोगों को खेलों से दूर करने की कोशिश कर रहा है.

किस ग्रुप का है ये वीडियो?  
माइक्रोसॉफ्ट के शोधकर्ताओं ने मंगलवार को कहा कि स्टॉर्म-1516 नामक एक ग्रप, इस वीडियो के पीछे है. यह ग्रुप रूस के कुख्यात इंटरनेट रिसर्च एजेंसी ट्रोल फार्म का एक छोटा लेकिन अहम हिस्सा है, हाल के दिनों में इस वीडियो को कई लोकप्रिय अकाउंट्स द्वारा फैलाया गया है, जो रूसी प्रचार में शामिल हैं, कुछ ने यह भी दावा करने की कोशिश की कि यह इजरायल से आया है.

माइक्रोसॉफ्ट समूह ने एक बयान में कहा, ‘यह ऑपरेशन पिछले स्टॉर्म-1516 ऑपरेशनों में अपनाई गई रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं से काफी मेल खाता है, जिसमें एक पिछला वीडियो भी शामिल है, जो हमास का होने का दिखावा करता है.’

अक्टूबर और इस वीडियो के बीच समानताएं
एनबीसी न्यूज के मुताबिक उसने इस वीडियो और यूक्रेन के बारे में पिछले वीडियो के बीच समानताएं पाईं, जिसे अक्टूबर में पोस्ट किया गया था और क्लेम्सन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसकी पहचान रूस के स्टॉर्म-1516 से की थी.

अक्टूबर के वीडियो में, स्कार्फ और चेहरे को ढकने वाले कई पुरुष एक ग्रे दीवार के सामने खड़े हैं. उनमें से एक ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को ‘हथियारों और सैन्य उपकरणों की एक नई खेप’ के लिए अरबी में धन्यवाद दिया. पोस्ट ने एक झूठे दावे को बढ़ावा दिया कि यूक्रेन ने हमास को सैन्य सहायता प्रदान की थी.  रूसी प्रचारकों ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब फैलाया.

दोनों वीडियो में संदेश देने वाला व्यक्ति एक ही वर्दी पहने हुए एक ही ग्रे दीवार के सामने खड़ा दिखाई देता है. वह अपना भाषण भी ईश्वर की एक ही प्रार्थना के साथ शुरू करता है.

 स्टॉर्म-1516 अभियानों की विशेषता
माइक्रोसॉफ्ट के शोधकर्ताओं ने कहा कि स्टॉर्म-1516 के अभियान कुछ खास रणनीति से पहचाने जाते हैं, जिसमें ऐसे वीडियो बनाना शामिल है जिसमें एक्टर साजिश का आरोप लगाते हैं और फिर उन वीडियो को अपेक्षाकृत नए ऑनलाइन अकाउंट पर पोस्ट करते हैं जिनके कुछ ही फॉलोअर्स होते हैं. फिर वीडियो को टेलीग्राम, एक्स और स्थानीय समाचार साइटों या विदेशी समाचार साइटों पर प्रायोजित सामग्री के रूप में पेश करने वाली वेबसाइटों के माध्यम से प्रसारित किया जाता है. उनका लक्ष्य पश्चिम में मुख्यधारा के दर्शकों तक पहुंचना होता है.

Photo courtesy- Reuters

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